माटी से आसमान तक: एक गरीब किसान की बेटी बनी 2025 की जिलाधिकारी
माटी से आसमान तक: एक गरीब किसान की बेटी बनी 2025 की जिलाधिकारी लेखक: [INDIAN VLOG] | तिथि: 2025 "जब हौसले हों मजबूत,
तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, इंसान
अपनी मंज़िल जरूर पा लेता है।" बचपन:
मिट्टी, मेहनत और माँ की ममता उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव धरमपुर
में जन्मी सीमा के पिता एक मामूली
किसान और माँ एक गृहिणी थीं, जो दूसरों के घरों में काम करके परिवार का गुज़ारा करती थीं।
घर में पढ़ाई-लिखाई का कोई माहौल नहीं था,
लेकिन सीमा को शुरू से ही किताबों से
प्यार था। टूटी हुई स्लेट, उधारी की किताबें, और ढिबरी की रोशनी
में पढ़ाई — यही थी सीमा की दुनिया। सपना:
जब एक जिलाधिकारी ने जीवन बदल दिया एक दिन गाँव में जिलाधिकारी
साहब आए। उनका आत्मविश्वास,
वर्दी और बोलने का तरीका देखकर सीमा
की आँखों में सपना चमकने लगा — उस दिन से वह अपने लक्ष्य की ओर चल
पड़ी — बिना किसी रुकावट के। संघर्ष:
समाज के तानों से दिल्ली की गलियों तक सीमा की पढ़ाई का रास्ता आसान नहीं
था।
दिल्ली में वह ट्यूशन पढ़ाकर और
लाइब्रेरी में घंटों बिताकर
UPSC की तैयारी
करती रही। तीन बार असफलता हाथ लगी, लेकिन चौथी बार... सफलता:
2024 में AIR
27 और 2025 में
DM की कुर्सी 2024 में, चौथे प्रयास में सीमा ने UPSC
की परीक्षा में All India Rank 27 हासिल की। 2025 में उसकी नियुक्ति
उत्तर प्रदेश के एक जिले की
जिलाधिकारी के रूप में हुई। बदलाव:
अब वह सिर्फ अफसर नहीं, बदलाव की प्रतीक है सीमा ने अपने गाँव में पहला गवर्नमेंट इंटर कॉलेज बनवाया। निष्कर्ष:
हर लड़की में है सीमा बनने की ताकत सीमा की कहानी हमें सिखाती है कि
गरीबी, असफलता और समाज की रुकावटें सिर्फ बाहरी दीवारें हैं। अगर
इरादा पक्का हो, तो माटी से उठकर भी कोई आसमान छू सकता है। "हर बेटी में एक नेता,
अफसर और बदलाव की चिंगारी होती है — बस
उसे जलाने की ज़रूरत है।" अगर आपको ये कहानी
प्रेरणादायक लगी हो, तो इसे शेयर करें और ऐसी बेटियों का हौसला बढ़ाएँ! |